मल्टीलेवल मर्केटिंग के नाम पर लोगों को गुमराह कर रही कंपनियों पर सरकार जल्द ही नकेल कसने जा रही है। कंपनी मामलों केमंत्री वीरप्पा मोईली ने प्रेस को दिए अपने एक बयान में कहा कि ऐसी कंपनियों में अधिकांश कंपनियां "रजिस्ट्रार ऑफ़ कंपनीज" से पंजीकृत नहीं हैं, तथा जो कंपनियां पंजीकृत हैं भी उन्होंने अपना कारोबार कुछ और बताकर पंजीकरण हासिल किया है। बीरप्पा मोईली ने कहा कि सरकार कड़ा रूख अपनाते हुए अब ऐसी कंपनियों व उनके एजेंटों की धर पकड़ के लिए स्थानीय पुलिस की मदद से एक अभियान चलाने जा रही है ताकि लोगों को गुमराह कर ऐसी कंपनियां अर्थिक अपराध केषड़यंत्र न बुन सकें। वीरप्पा मोईली ने बताया कि भारत में अवैध रूप से चल रही तमाम नेटवर्क कंपनियों के डोमेन सर्च किए जा रहे हैंतथा विभिन्न सूत्रोंकी मदद से इस तरह की कंपनियों के संचालकों व एजेंटों के नम्बर व ठिकानों के एकत्रीकरण का काम राज्य सीआईडी व स्थानीय अपराध शाखाओं को सौंपा गया है।
इस प्रकार की कंपनियों की कार्यप्रणालियों को समझने के लिए एक विशेष सैल गठित किया जा रहा है, जो तकनीकी के फेर से संचालित होने वाली इन कंपनियों के वास्तविक मंतव्य को समझ कर इनके द्वारा किए जाने वाले अपराध का आकलन करेगा। बीरप्पा मोईली ने बताया कि अब तक 3000 से अधिक कंपनियों के गड़बड़ झाले के बारे विभिन्न जांच एजेंसियों को सूचना मिल चुकी है। विभिन्न प्रकार के विश्वसनीय घरेलू उत्पादों को विश्वसनीय तरीके से लोगों तक पहुंचाने वाली कंपनियों के नियमन के लिए सरकार जल्द ही संसद में बिल पास करेगी। जिस से नेटवर्क मार्केटिंग में नियमों के दायरे में रह कर तथा अपने स्थाई कार्यालय स्थापित कर ईमानदारी से काम करनेवाली कंपनियों को काम करनेका माहौल दिया जा सके। उधर EOW मुंबई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी कंपनी में पैसा लगाने से पहले कंपनी के डायरैक्टर, कंपनी के कार्यालय कंपनी के वैधता संबंधी प्रमाण पत्र, कंपनी केउत्पाद इत्यादि के बारे में.पूरी-पूरी जानकारी हासिल कर ले तथा किसी भी प्रकार का संदेह होने पर EOW (economic offences wing) मुंबई व दिल्ली कार्यालय को संबंधित जानकारी मुहैया करवाए। उधर केरला सरकार ने भी उक्त सभी माध्यमों के जरिए लोगों को ठग रही कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इंश्योरेंस के जरिए अपने नेटवर्क विस्तार में लगी कंपनियों को भी केरल से खदेड़ा जा रहा है। केरल में काम करने वाले नेटवर्करों को भी अब बिना परिचय पत्र किसी से मिलने पर मनाही है। इंश्योरेस के माध्यम से लोगों को लाखों का चूना लगा चुकी डाफिन टच व टीएलसी जैसी कंपनियां भी अब केरला सरकार के निशाने पर हैं। नेटवर्क कंपनियों पर संदेहस्पद कंपनियों के एजेंटों के बारे तुरंत EOW के नंबरों पर तुरंत कॉल करें।
Economy Offence Wing के नंबर है :
011- 26510008, 23745317, 23746754, 23746614. (For Delhi)
022- 22625028, 22620111, 22630818. (For Mumbai)
इस प्रकार की कंपनियों की कार्यप्रणालियों को समझने के लिए एक विशेष सैल गठित किया जा रहा है, जो तकनीकी के फेर से संचालित होने वाली इन कंपनियों के वास्तविक मंतव्य को समझ कर इनके द्वारा किए जाने वाले अपराध का आकलन करेगा। बीरप्पा मोईली ने बताया कि अब तक 3000 से अधिक कंपनियों के गड़बड़ झाले के बारे विभिन्न जांच एजेंसियों को सूचना मिल चुकी है। विभिन्न प्रकार के विश्वसनीय घरेलू उत्पादों को विश्वसनीय तरीके से लोगों तक पहुंचाने वाली कंपनियों के नियमन के लिए सरकार जल्द ही संसद में बिल पास करेगी। जिस से नेटवर्क मार्केटिंग में नियमों के दायरे में रह कर तथा अपने स्थाई कार्यालय स्थापित कर ईमानदारी से काम करनेवाली कंपनियों को काम करनेका माहौल दिया जा सके। उधर EOW मुंबई की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी भी कंपनी में पैसा लगाने से पहले कंपनी के डायरैक्टर, कंपनी के कार्यालय कंपनी के वैधता संबंधी प्रमाण पत्र, कंपनी केउत्पाद इत्यादि के बारे में.पूरी-पूरी जानकारी हासिल कर ले तथा किसी भी प्रकार का संदेह होने पर EOW (economic offences wing) मुंबई व दिल्ली कार्यालय को संबंधित जानकारी मुहैया करवाए। उधर केरला सरकार ने भी उक्त सभी माध्यमों के जरिए लोगों को ठग रही कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इंश्योरेंस के जरिए अपने नेटवर्क विस्तार में लगी कंपनियों को भी केरल से खदेड़ा जा रहा है। केरल में काम करने वाले नेटवर्करों को भी अब बिना परिचय पत्र किसी से मिलने पर मनाही है। इंश्योरेस के माध्यम से लोगों को लाखों का चूना लगा चुकी डाफिन टच व टीएलसी जैसी कंपनियां भी अब केरला सरकार के निशाने पर हैं। नेटवर्क कंपनियों पर संदेहस्पद कंपनियों के एजेंटों के बारे तुरंत EOW के नंबरों पर तुरंत कॉल करें।
Economy Offence Wing के नंबर है :
011- 26510008, 23745317, 23746754, 23746614. (For Delhi)
022- 22625028, 22620111, 22630818. (For Mumbai)
10 comments:
किस सेवा की बात कर रहे हो मिस्टर पिटर?
क्या अपने ही लोगों का ठगना/लूटना सेवा है?
और ये बिना सर पैर के बातें क्यों कर रहे हो, ये जानने की कोसिस क्यों नहीं कर रहे की तुम लोगों का "भगवान" गोपाल शेखावत अगर सही है तो आज हो जेल में क्यों है?
आप यह जान्ने की कोसिस क्यों नहीं कर रहे की अगर आपके कंपनी के पास सभी लीगल दस्तावेज है तो फिर आपकी कंपनी बंद क्यों है?
क्या किसी के गलत आरोप से कंपनी बंद हो सकती है?
अगर आपका जवाब "हाँ" है तो फिर वर्षों से संचालित "Big Bazar " के खिलाफ एक याचिका दायर कर के बताएं.
GOVERNMENT OF INDIA IS CLOSE TO BRING NEW RULES FOR MLM COMPANIES
Good! Now you started posting the clippings from Northern newspapers too to woo the Hindi belt networkers!
For your earlier Hindi posting and this one my comment remains hereunder:
First of all, Mr. Syam Sundar learn the technique of good journalism and be a good blog runner. Much of your postings and the comments are trash! A repetition and have no relevance for one another. Much of the comments posted by Mr. Peter and Messrs.’ Koroputia Bandhu are totally useless and have no relevance to the debate of that particular posting.
When you are talking of Nmarts’ enrollment in UP and MP, Koraputia comments the same he, I do not know whether he is she, posted and uttered in other postings by you.
Everyday this has become a thumb rule - you post something and immediately Koraputia comments with the same old story posted in earlier days postings. They are crawling into your blog just to see their name in web pages and it satisfies their ego and emotions.
Here, you are wasting your webpages Mr. Syam! There is no decency and decorum in your blog. Instead of raising a topic of information and a healthy debate majority of your postings and comments by your visitors are with prejudice and bad taste. Sometimes even abuses creep in! There you loose your temper and reacts in the same way. Where is the decency! Is it a Good Journalistic norm!
As a moderator of your blog you would have controlled both Mr. Peter and Koraputia and see that the blog continues to rise an intellectual opinion rather giving it a cheap outlook!
Next, coming to the point, you are right in your posting in Hindi. (Here you have not given any Source). Already on 9th October, 2012 Economic Times carried an article about Veerappa Moily’s Statement. This I am giving you here because majority of your blog surfers are not able to read Hindi script and I hope if it is given in English, it will be better to them to comprehend. It reads as follows – Please give it to your readers it will enlighten the participants of your debate…
Government finalising rules for multi-level marketing companies
PTI Oct 9, 2012, 08.37PM IST
(The government today said…)
New Delhi: The government today said it is close to finalising new rules for multi-level marketing firms and is working on an early warning system to prevent corporate frauds.
The Serious Fraud Investigation Office (SFIO) -- under the Corporate Affairs Ministry -- is working on an early warning system that would help in preventing corporate frauds.
Corporate Affairs Minister Veerappa Moily said the SFIO has already set up a computer lab for this.
"This is part of the ministry's vision for having enlightened regulations," Moily said, while addressing the Economic Editors' Conference here.
The analysis wing of SFIO has come out with many reports and the ministry is acting upon that information, he added.
Besides, the ministry said the new rules for multi-level marketing companies have almost been finalised.
"We had a close discussion with the Department of Financial Services in the Ministry of Finance. The Act, the Prize Chits and Money Circulation Schemes Act (Banning) 1978, under which these activities can be controlled are under their purview," Corporate Affairs Secretary Naved Masood said.
"Together, we have decided that we should have new rules to prevent these companies from getting on with their nefarious activities," he added.
The new rules have been finalised and the RBI has been consulted on the same, Masood added.
Further, he noted that the Registrars of Companies (RoCs) have been asked to be "very very alert about the activities of these (multi-level marketing) companies, particularly where they give advertisements etc..."
SFIO is already investigating alleged scam at SpeakAsia, which is registered in Singapore. The ministry had ordered the probe into it early last year.
GOOD INFORMATION KISHORE REDDY SIR .
YEH SHYAM BADA NATKHAT HAI. ISKO MALOOM HAI ISH TARAH SE ISH KO PAISA MILNE WALA HAI.PAISA PANE KA CHAKAR HAI. WOH KORAPUTIA BANDHU , DEEPAK , BAKI SAB JO ISH KE FABER MEIN LIKHTE HAIN DARASAL WOH EK AADMI SHYAM HI HAI. MAINE YEH ISLIYE BATAYA KIYUN KI ITNA PUBLIC (iNNOCENT) KELIYE YEH SOCH RAHA HAI TOH ROBERT BHADRA KE KHILAF , KHURSEED KE KHILAF , KARWAI KAR KE DIKHA . TERA HUM AARTI UTTARENGE. SUBHA SAAM TERA PUJA KARENGE ASLI SHYAM KO BHUL JAYENGE. ISH KA BACHA LOG BAHAR FOREIGN MEIN PADHTE HAIN . PAISA KAHAN SE AATA HAI .ISKA PROPERTY CRORES MEIN HAI. KAHAN SE AAYA. BATAYEGA YEH. JOH IMANDARI SE KAAM KARTA HAI USH NMART KE PICHE LAG GAYA HAI. ISH KO SAB KA BAD DUA LAGEGA,. YEH AKELA LEGAL AADMI HAI. KANOON KA LEGAL BANDA. KABHI SAMNE AYE TOH BATADUNGA ISH KO. MAIN KAUN HOON?
आदरणीय श्रीवात्साव जी, यह एक बात भूल रहे है! जब तक श्याम सुंदर जी ने पोलिस केस नही लगाया, कोई भी एन मार्ट के सदस्य अपना कंपनी के खिलाफ बात नही किए थे या पोलीस के पास गये थे!
सिरफ़ कार्पोरेट फ्राड वाच जो एन मार्ट के खिलाफ आवाज़ उठाया उनके वजह से यह परिणाम हुवा था!
बिग बाजार की बात अलग है! ना इनका कोई मेंबरशिप था या इनका कोई मल्टी लेवेल की बात है! हाँ,
में आप के बात से सहमत हूँ! अगर एन मार्ट भी बिग बाजार जैसा अपना माल्स को सही तरह सजावट करदेती तो बात यहा तक नही पहुँचता! एन मार्ट स्दस्यों मे असंतुष्ट लोग संतुष्ट लोगों से बराबर कर देते तो बहुत कम है! इनका प्रतिशत .००००१ से कम है!
सब चाहते है की अपना माल खुल जाए!
Good! Mr. Shyam Sundar I entered your blog recently and not when you started posting your stories on Nmart 2 years ago. I started viewing your blog only after I came to know that the case against Nmart was filed by your organisation.
Earlier I commented twice or thrice, I don’t remember exactly the number, but I remember well that I never used any hurtling or abusive language. I was to my point relevant to your story. If I hurt you indirectly without any intention forgive me for such act. I always remain decent in my write-ups.
I was away from your forum in recent times seeing your blogs’ indecent and unwarranted comments by Koraputia and Peter which are really worthless and non-informative. The forum should be un-biased, balanced and informative, giving both sides of the argument.
But, majority of your commentators forget that aspect and write some nonsense without any rationale. Here, I differ. Whatever, my comment in your blog it should be informative and without any prejudice. That is why again I am here!
Coming to the point, it is not right to think that we alone are right and all others are wrong! We may have our opinion, but we should respect the others’ too.
We may differ on MLM, then why the rules and regulations are being formed by the States and why GOI is coming closure to formulate Rules or Guidelines for Direct Marketing Companies with MLM, we should think of it.
The people sitting at administrative level or not muffs and they have taken all that it required from the judiciary also while framing such Acts or Rules. So we have to respect them too.
And then, why GOI wanted this. Because it want to control and regulate the real scammers and looters. Because it wants that the aam admi should not be ditched. A number of times people discussed here and in other forums about the mathematical impossibility in MLM. It is true. That is why this legalisation with proper rules and regulations. That is why a proper Regulating Authority whether it is like SEBI, RBI, IRDA or even under the Companies Act. A separate Regulation for MLM. If it is in organised sector with strict control like in Companies Act, it will be a welcome for Direct Marketing Companies with MLM as the States think so. We are not against it, right!
Recently, Rajasthan Government issued Guidelines for DM companies following the earlier Kerala Government’s one. However, the Direct Selling Association differed with some of the clauses and accordingly they represented with Rajasthan Government with some suggestions.
Here, I am posting a news report of that Representation. This I am doing it in your blog because the information should be given to your surfers.
Opinion arises only when information is disseminated and not by giving one sided arguments.
FDSA press meet in Jaipur
Jaipur:Federation of direct selling association(FDSA) team of 15 members delegation along with President Mr. A P Reddy visited Rajasthan State Secretariat to thank the Govt. and also submitted an appeal to reconsider few required amendments in the given guidelines for sharper definitions which are essential to distinguish Direct Selling from the ponzi schemes.
The Delegation met with Chief Secretary, Home Secretary, Law Secretary and Industries Secretary on 11th Oct 2012.
FDSA Statement given on this issue.
The Federation of Direct Selling Association (FDSA), on behalf of its associated companies, express grateful thanks to the Rajasthan State Government for issuing guidelines with twin objectives; to regulate Direct Selling business in the state of Rajasthan as well as to provide protection to consumers who purchases goods / services under this business module. In particular, FDSA would like to thank the Chief Minister of Rajasthan and other dignitaries who had extended the needful support for the benefit of this industry for a better existence.
contd..2
The Rajasthan state government issued guidelines vide a gazette notification - Industries (Gr.I) Department Extraordinary, Part-I vide Notification No. F5(2)/1/2012 dated 5th Oct 2012 to regulate the sale of goods and services outside of retail establishment otherwise known as “Direct Selling (Multi Level Marketing)”.
AMENDMENTS NEED:
However, with due respect, FDSA, wishes to represent, that the following points of guidelines need reconsideration due to practical difficulties.
Para #1. Definitions
VI. Sales incentive states
Sales Incentive means share of profit payable to the direct seller for effecting sale of goods / product as stipulated in the contract between the Direct Seller and Direct Selling Entity.
Should be replaced with Sales Commission
Sale Commission means compensation payable to the direct seller/Distributor for effecting sale of goods/products as stipulated therein and shall include payments made for sales promotion, royalty commission, incentives for indirect sales, and commission for direct and indirect sales.
Para #4, Prohibitions: Sub (I) states.
“Payments of Incentives by whatever name it is called unrelated to their respective sales volume.” This leaves scope for in-consistency in commission distribution. A Direct Selling Distributor creates his own team and generates business by a combined team efforts. Thus a mention of “Payment of commission by whatever name it is called unrelated to their respective sales volume however payment of any incentive, royalty, or indirect sale commission as defined under the head “commission” can be made during the course of the business.”
Para #4, Prohibitions: Sub (III) states.
“Direct Selling Entity/ Direct Seller will not indulge in money circulation scheme or any act barred by the Prize Chit and Money Circulation Scheme (Banning) Act, 1978.”
It is feared that this clause leaves room for doubts and gives a tool to law enforcing agencies to interpret this clause in their own way thus to harass genuine Direct Selling entities. Hence this clause should be re framed as below:
“Direct Selling Entity/ Direct Seller who strictly follows above guidelines shall not be deemed to be indulging in money circulation scheme and thus shall be out of the purview of the Prize Chit and Money Circulation Scheme (Banning) Act, 1978.”
Para # 5, General Conditions: Sub (III) States.
Sales incentive should be distributed to the respective seller on or before the agreed due date. Our humble submission is that it should be amended as sales incentive should be distributed to the direct seller and/or to the seller/s who are directly or indirectly responsible for the sale on or before the agreed due dates.
***
आप लोग (MLM से जुड़े लोग) मुख्य विषय से हट कर क्यों बातें करते है?
शायद आप लोगों को हमेशा सच्चाई को छुपाने की आदत पड़ चुकी है.
अगर आप लोग बिलकुल सही हो तो फिर कोर्ट से अभी तक याचिका को ख़ारिज क्यों नहीं करा पाए?
इतने बड़े कंपनी से जुड़े होने के बाद भी इतने दिनों में एक याचिका ख़ारिज नहीं करा पाए...
:)
I must repeat:
Hi,every body.I just couldnt resist myself to ask you some question....
1ST Q.What is the profit NMART is earning from the selling of products?
2ND Q.Is this sufficient enough to disburse all the commissions & expenditures?
3RD Q.Is NMART disburse the commissions of the senior line ups from the money are being deposited as registration fee?
4TH Q.If NMART doing as 3RD Q then somehow the process 1:2 leads towards number indefinite.Then how can this business model be viable?What will happen with the last level joiners? Because law of average or 80:20 rules or any such rules which based on success rate can not or should not be legal in terms of monitory transactions where it is mathematically proved to be broken(as it much higher than birth rate)after some time. Don't you agree?If not please let me know as I may not be aware of any other equations(Please dont add emotional equations in it).
KYA N MART KE BARE KUCH BATA SAKTE HE KYA CHALU HOGA KI NAHI KYA WENDRON KA PESA MILE GA KI NAHI
PLS
SIR JANKARI DE
ANIL AGRAWAL
09039669223
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